अपंग वर्तमान
बंधा हुआ हूँ आज
उस पलंग में
अतीत का बिस्तर बिछा के
ओढ़कर यादों की चादर
खुली आँखों में भरकर
अनचाही नींद के सपने
बंद करके रोशनी के सब दरवाज़े
वर्तमान से तोड़कर रिश्ता
भुलाकर शरीर की हर हलचल
उड़ चला मन और
लिपट गया अतीत के बिस्तर से
मानो लिप्त हो
'आज और कल' |
2 comments:
bahut badiya
very deep meaning.....nice yar...tum to professional ho ekdum !!!!!!!!!!