जलता जुनून

Filed under: by: vinay sehra

जलता जुनून

हर लम्हा जीया ऐसे जैसे खुद से बगावत हो,

सोचा के आगे पड़ा पूरा जहान बाकी है|


किया वो हर इक काम जिससे मन को मोहब्बत हो,

भूल गया वो चीज़ जिसपे टिका मेरा संसार बाकी है|


ज़ख्मी हो गया उसी खेल में जिसमें महारत थी,

गिरने को अभी बचे कई मैदान बाकी है|


थम गया फिर भी हर आँसू शिकायत का,

मेरे होंठों में बची अभी कुछ जान बाकी है|


घोंट दिया है गला हर 'छोटी इनायत' का,

दिल में मेरे मचा 'बड़ा तूफ़ान' बाकी है|


पहुँच गया मेरा देश बुलंदी के आसमाँ पर,

हर इंसान के दिल में मगर कुछ अरमान बाकी है|


जलती रहे हर दिल में अरमानों की यही ज्वाला,

इस आसमाँ के पार बचा संसार बाकी है|


किए गया मैं गलतियाँ हर गलतियों के बाद,

हर अरमान पूरा होगा,'जलता जुनून ' बाकी है|

3 comments:

On May 3, 2009 at 4:19 AM , Apy said...

wah ladke kya bat hai.....nice thoughts and brilliantly written

 
On May 6, 2009 at 10:00 PM , prashant said...

nice poem

 
On August 21, 2009 at 11:47 AM , Unknown said...

haan hai junoon sa jeene mein,nice 1