कटे पंख

Filed under: by: vinay sehra

कटे पंख

लोग कहते है जो छूता था आसमाँ की बुलंदियों को,
उस पंछी को शायद अब उड़ना नहीं आता|

मुस्कुराते थे जो बगिया में सुनहरे फूल बनकर,
टूटे मेरे उन ख्वाबों को अब खिलना नहीं आता|

काश समझा दे कोई अंखियों के मोती को,
मेरे ग़मों को अश्कों में घुलना नहीं आता|

डरती है तड़पती रूह इक सांस लेने से,
सूखी हुई नदिया को बहना नहीं आता|

मत दबाना जज़्बात सारे दिल में 'विनय' बनकर,
हर होंठ पे मुस्कराहट को सजना नहीं आता|

क्यों समझ में नहीं आती है बात इतनी सी,
हर किसी को दिल ही दिल में मरना नहीं आता|

बिछा दे काश कोई राहों पे काँटों के बिस्तर,
नंगे मेरे पाँवों को अंगारों पे चलना नहीं आता|

हर दूसरा शख्स यहाँ खुद को दोस्त कहता है,
मेरे ही कानों को शायद अब सुनना नहीं आता|


12 comments:

On May 7, 2009 at 8:20 AM , अनूप शुक्ल said...

कहने दो लोगों को। आप लिखते रहिये। शानदार! लेकिन भैया ई वर्ड वेरीफ़िकेशन हटाइये।

 
On May 7, 2009 at 10:21 AM , Yogesh Verma Swapn said...

blog jagat men swagat. rachna umda hai.

 
On May 7, 2009 at 12:25 PM , Unknown said...

aapka kavita likhne ka tarika bahut acha hai...main zyada to nahin jaanta magar mujhe aapki sabhi kavitayen bahut achi lagi

 
On May 8, 2009 at 2:11 AM , Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी ....एहतिराम करता चलूं .......
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ


कृपया एक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

 
On May 8, 2009 at 4:56 AM , गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah! narayan narayan

 
On May 8, 2009 at 5:36 AM , रचना गौड़ ’भारती’ said...

बे्हतरीन रचना के लिये बधाई। यदि शब्द न होते तो एह्सास भी न होता। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है। लिखते रहें हमारी शुभकामनाएं साथ है।

 
On May 8, 2009 at 5:37 AM , पंडितजी said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

 
On May 9, 2009 at 12:14 PM , संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

 
On May 14, 2009 at 9:39 AM , Pradeep Bhatt said...

nice, i liked the flow and the structure in this piece

 
On May 17, 2009 at 6:46 AM , Vinay said...

बहुत अच्छे जी, बहुत अच्छे

 
On August 15, 2009 at 6:38 AM , संजय भास्‍कर said...

काफी अच्छा है बहुत ही सुंदर लाइन है

 
On August 21, 2009 at 11:24 AM , Unknown said...

bahut acha