जलता जुनून
हर लम्हा जीया ऐसे जैसे खुद से बगावत हो,
सोचा के आगे पड़ा पूरा जहान बाकी है|
किया वो हर इक काम जिससे मन को मोहब्बत हो,
भूल गया वो चीज़ जिसपे टिका मेरा संसार बाकी है|
ज़ख्मी हो गया उसी खेल में जिसमें महारत थी,
गिरने को अभी बचे कई मैदान बाकी है|
थम गया फिर भी हर आँसू शिकायत का,
मेरे होंठों में बची अभी कुछ जान बाकी है|
घोंट दिया है गला हर 'छोटी इनायत' का,
दिल में मेरे मचा 'बड़ा तूफ़ान' बाकी है|
पहुँच गया मेरा देश बुलंदी के आसमाँ पर,
हर इंसान के दिल में मगर कुछ अरमान बाकी है|
जलती रहे हर दिल में अरमानों की यही ज्वाला,
इस आसमाँ के पार बचा संसार बाकी है|
किए गया मैं गलतियाँ हर गलतियों के बाद,
हर अरमान पूरा होगा,'जलता जुनून ' बाकी है|