गंगा यमुना की पावन धरती का क़र्ज़ महान लिखो,
हर गरीब की मेहनत की रोटी का तुम प्रमाण लिखो|
पंछी अपने पंख फैलाकर उड़ गया आकाश की ओर,
पथ पर आगे बढ़ते-बढ़ते पदचिन्हों की शान लिखो|
आकाश के चमकते तारे देखो टूट गिरे इस धरती पर,
धरा पर रहकर तुम अपना अम्बर से ऊँचा मान लिखो|
बंद आँखों-से देखी सपनों की दुनिया तो जन्नत है,
आँखें खोलकर हकीकत में चंद सपनों की उड़ान लिखो|
आज हर कोई झूठी शान-ओ-शौकत से ही जीता है,
साधारण से व्यक्तित्व से अपनी उच्च पहचान लिखो|
दूसरों की नज़रों में ऊपर उठना ही क्या मकसद है,
सबसे ऊपर दिल में अपने थोड़ा आत्म-सम्मान लिखो|
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2 comments:
aweomeest!! my favourate
amazing poem....
you r a terrific writer