रस्ता भी क्या कमाल आया

Filed under: by: vinay sehra

बाबस्ता झर गए आँसू
तेरा बस ख्याल आया |

घर पर तन्हा बैठे बैठे
अनसुलझा एक सवाल आया |

हम बस बैठे तकते रहते
आँखों में बवाल आया |

चार कदम ही रक्खे आगे
रस्ता भी क्या कमाल आया |

2 comments:

On August 18, 2012 at 11:47 PM , Vinay said...

हृदयस्पर्शी उत्कृष्ट

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On December 31, 2012 at 8:25 AM , Vinay said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।

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